पाठकों से निवेदन

इस ब्लोग पर तंत्र, मंत्र, ज्योतिष, वास्तु व अध्यातम के क्षेत्र की जानकारी निस्वार्थ भाव से मानव मात्र के कल्याण के उद्देश्य से दी जाती है तथा मैं कोई भी फीस या चन्दा स्वीकार नहीं करता हुं तथा न हीं दक्षिणा लेकर अनुष्ठान आदि करता हुं ब्लोग पर बताये सभी उपाय आप स्वंय करेगें तो ही लाभ होगा या आपका कोई निकट संबधी निस्वार्थ भाव से आपके लिये करे तो लाभ होगा।
साईं बाबा तथा रामकृष्ण परमहंस मेरे आदर्श है तथा ब्लोग लेखक सबका मालिक एक है के सिद्धान्त में दृढ़ विश्वास रखकर सभी धर्मों व सभी देवी देवताओं को मानता है।इसलिये इस ब्लोग पर सभी धर्मो में बताये गये उपाय दिये जाते हैं आप भी किसी भी देवी देवता को मानते हो उपाय जिस देवी देवता का बताया जावे उसको इसी भाव से करें कि जैसे पखां,बल्ब,फ्रिज अलग अलग कार्य करते हैं परन्तु सभी चलते बिजली की शक्ति से हैं इसी प्रकार इश्वर की शक्ति से संचालित किसी भी देवी देवता की भक्ति करना उसी शाश्वत निराकार उर्जा की भक्ति ही है।आपकी राय,सुझाव व प्रश्न सीधे mahesh2073@yahoo.comपर मेल कीये जा सकते है।

Tuesday, May 17, 2016

लाल किताब के अनुसार शनि प्रथम भाव (लग्न या खाना न. 1) में होने का फलादेश :लाल किताब की सहायता से स्वयं जानिये अपना भविष्य पार्ट - 4,

प्रिय पाठको, 
            नमस्कार यह इस श्रखंला का चैथा आलोख है यदि आप प्रथम बार इस ब्लोग पर आये है तो लाल किताब से ज्योतिष सीखने के लिए कृपया इसको प्रथम भाग से पढना प्रारंभ करें । पूर्व में प्रकाशित तीन भागों के लिंक नीचे दिये जा रहे हैः-

भाग प्रथमः- लाल किताब से ज्योतिष कैसे सीखें 
भाग द्वितीयः- लग्न में गुरू का फलादेश 
भाग तृतीयः- लग्न में राहु का फलादेश 
     इस भाग में हम लग्न में ‘‘शनि’’ हो तो क्या फलादेश होता है उस पर प्रकाश डालेगे - 
           शनि के प्रथम स्थान में होने का फलादेश थोडा कठिन है इसके लिये आप पहले अपनी जन्म पत्रिका (लग्न पत्रिका) हाथ में ले लेवे उसके अनुसार देखे कि क्या आपकी जन्म पत्रिका मे शनि न. 1 के अलावा निम्न में से कोई स्थिति बन रही है ।
शक्र भी खाना न. 1में शनि के साथ है ।
राहु खाना न. 4 केतु खाना न. 10 में है ।
 बुध या शुक्र न. 7 में है । 
या
 मंगल खाना न. 6 से 12 में कही पर भी है ।
(कौनसे खाने में कौनसा ग्रह है यह देखने के लिए इस आलेख का प्रथम भाग जिसका लिंक उपर दिया है वापस ध्यान से पढ़े)
यदि उपर लिखी चार स्थितियों में से एक भी स्थिति बन रही है तो आप भाग्य शाली हैं क्यो कि ऐसी स्थिति में आपका धन व दौलत लगातार बढता रहेगा (मैं क्षमा चाहता हु पर लाल किताब में लिखा है ज्यादातर ऐसी कुण्डली वाले के धन दौलत बढने का कारण बेईमानी, मक्कारी होती है क्यों कि ‘‘पापी का धर्म माया इक्ट्टा करना’’ ऐसा लाल किताब में लिखा है) यदि आपकी कुण्डली में प्रथम खाने में शनि है व उपर दी गयी चार स्थितियों में से कोई भी स्थिति नही बन रही है तो आप निर्धन हो सकते हैं। 
लाल किताब बहुत वैज्ञानिक है इसमें शनि खाना न. 1 वाले के निर्धन होने की पहचान बताई गई है ‘‘जिस्म पर हद से ज्यादा बान हो तो निर्धन होने की पहचान होगी’’ यदि ऐसी संतान (शनि न. 1 में हो व उपर बतायी 4 स्थितियों में से कोई नही बन रही हो) किसी माता-पिता के जन्म लेती है तो संतान के 18 वर्ष की आयु का होने तक माता-पिता की सारी पैतृक सम्पति बिक जाती है अर्थात ऐसी संतान के जन्म के समय माता-पिता बहुत दौलतमंद व खुशी के बाजे बजा रहे होते है परन्तु जैसे-2 संतान की आयु बढती है वैसे-2 उनका पैतृक धन खजाना घटता जाता है व ऐसी संतान के 18 वर्ष की आयु का होने तक एकदम शुन्य हो जाता है ।
(शनि न. 1 व उपर के 4 योग में से कोई नहीं)
लाल किताब की वैज्ञानिकता का एक ओर प्रमाण आप जाॅच सकते है यदि शनि खाना न. 1 में व बुध खाना न. 7 में हो तो ऐसी संतान के जन्म के बाद जन्म लेने वाली संतान लडका (भाई) ही होगी ऐसा लाल किताब कहती है यदि आपकी कुण्डली में ऐसा योग है तो जाॅच करें कि क्या यह सही है कि आपके छोटे भाई तो है पर छोटी बहन नही है व आपके माता-पिता आपके जन्म के समय धनवान थे।
- ज्यादातर ऐसे टेवे वाले की पढाई अधुरी रहती है तथा वो विधा अध्यन में बहुत होशियार नहीं होता ।
- ऐसी जन्म पत्रिका वाला मांगलिक भी हो तो चोर, फरेबी, बेईमान, झगड़ालु,    धोखेबाज हो सकजा है।
- शनि नं. 1 सूर्य नं. 7 में हो तो सरकारी सेवा या सरकारी खजाने से धन प्राप्त नही होता है व यदि होता है तो सेवा बीच में छुट सकती है या धन की वसूली हो सकतीहै या ऐसा धन बरबाद हो सकता है ।
- ऐसे व्यक्ति की 36 से 48 वर्ष की आयु का समय का भी बुरा व्यतित होता है इसमें धन हानी के साथ-2 बीमारीया भी घेर लेती है खासकर के ऐसा तब होता है जब वो इस उम्र में मकान बनवाए विशेषकर ऐसा मकान जिसका दरवाजा पश्चिम में हो शराब का सेवन करे व परायी स्त्रीयों में अवैध सबंध बनावे ।
अब उपाय बताते है -

(1) धन की कमी, निर्धनता के लिए ऐसी जन्म पत्रिका वाला जातक सूर्य का उपाय  करे अर्थात सुर्य को अध्र्य देवे, बदंरो को चने खिलावे, आदित्य हद्वय स्त्रोत का पाढ करे गायत्री मत्रं का जाप करे तो उसकी धन की कमी दुर होगी ।
(2) 36 से 48 वर्ष का आयु में खासकर पश्चिम दिशा में खुलने वाला मकान न बनाए, शराब मासं, व्याभिचार से पूर्णत दूर ही रहे ।
(3) विद्या में रूकावट, बीमारी व दुख आए तब जमीन में सूरमा दबावे, बड़ (बरगद)  के जड़ की मिट्टी को दूध में मिलाकर रोज तिलक लगावे तो सहायता मिलती है।

आगामी आलेख में ‘‘लग्न में सूर्य ग्रह’’ पर प्रकाश डाला जावेगा उससे अगले में ‘‘लग्न में शुक्र ग्रह’’ पर प्रकाश डाला जावेगा आपकी लग्न में जो ग्रह हो उसे कमेटं में लिखे ताकि उस पर भी प्रकाश डाला जा सके । 

1 comment:

  1. Sir mere bhi lagna me shani hai rahu 4 or ketu7 or.mamgal 6 me hai mere baare me.kuch bataye abhi 42 saal ka hu or jyada paisa nai dekha hai abhi tak kya 48 saal tak dikkat rakhegi jeevan me

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