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इसके पश्चात उन्होने अतिंम उपदेश के रूप में कहा कि सदैव ध्यान रखो कि आत्मविश्वास ही भगवान है इसलिये मन को कभी कमजोर मत होने दो सदैव अच्छा व सकारात्मक ही सोचो व सकारात्मक वाक्य ही मुह से बोलो , किसी की निन्दा चुगली मत करो व कभी भी दूसरों के कार्य में हस्तक्षेप मत करो यदि तुम इनका ध्यान रखोगे तो मैं भी तुम्हारी सहायता कर सकुगां अपने मन को मुझ में लगाये रखकर अपने आप का कर्ता न मानकर मेरे द्वारा सौंपे गये कार्यों को करो जब तुम्हारा रोल यहां से पूरा हो जावेगा तो तुम्हें तुम्हारी निष्ठा के अनुसार अपने आप अच्छे स्थान पर पहुंचा दिया जावेगा।
मुझे बड़ा आघात लगा क्यों कि मैं तो प्रत्यक्ष चम्तकार की आशा लगा रहा था कि चुटकी बजाकर बाबा कोई आरामदायक जगह का ओर्डर बना देगें फिर मौजां ही मौजां
साथ ही निन्दा किये बगैर तो मेरी रोटी ही हजम नहीं होती मेरे दोस्त भी मेरे मुहं से नमक मिर्च लगायी हुयी निन्दाएं सुनकर ही मेरी प्रशंसा करते हैं जिनका विषय सरकार से लेकर बाबा रामदेव व अन्ना हजारे जी होते हैं या बोस की निन्दा करना सदैव आनंददायक होता ही है।
यदपि मुझे लगा कि यह सब मानसिक रोग ही है कलियुग में कोई चमत्कार की बात करना मूर्खता है फिर भी बाबा के बताये आदेशानुसार पालन करने के सिवाय कोई चारा भी नहीं था इसलिये इन ओदशों पर चलने का प्रयास करने लगा ( प्रयास शब्द ही जायज है क्यों कि यह बहुत मुश्किल आदेश हैं खासकर निन्दा वाला क्यों कि न चाहते हुए भी मैं माननीय मुख्यमंत्री से लेकर मेरे माननीय बोस व साथियों के आचरण व विचारों पर टिप्पणी करने से अपने आप को रोक नहीं पाता तथा टिप्पणी करने के बाद लगता है कि यह तो निन्दा की परिभाषा में आ रही है तो कह देता हुं सोरी सार्ईं बाबा मैं आगे से ध्यान रखूंगा।
खैर इन सबका जहां तक संभव हो सका पालन करने पर मेरे साथ क्या हुआ ये जरा गौर फरमाईयेः-
- स्वाद के लिये न खाकर स्वास्थ्य के लिये खाने का ध्यान रखने लगा मीठा खाना कम कर दिया यदपि मुझे डायबिटीज नहीं है फिर भी मीठा कम से कम खाने लगा जिससे शरीर पूर्ण स्वस्थ हो गया।
- 8 माह में दो करोड़ रूपये की बैंक ऋणों की वसूली भगवान ने मुझे माध्यम मान कर करवायी जिस पर राज्य सरकार ने मुझे एक लाख रूपये की नकद प्रोत्साहन राशि इनाम के तौर पर दी।
- असहयोग करने वाले कार्मिक कार्य व पराक्रम देखकर अपने आप भक्त हो गये।
- एक ठाकुर साहब जो वसूली करने वाले टी आर ए को उठाकर ले जाने की धमकी दे रहे थे चुपचाप आकर मय ब्याज सारी बकाया चुकता कर के चले गये।धन्यवाद ठाकुर साहब आप तो बहुत भले आदमी लगते हैं।
- जो सज्जन 722 लाख रूपयों की वसूली वाले थे वो माननीय हाईकोर्ट की शरण में चले गये।
- ओडिट पैरे आदि तो धड़ाधड़ बंद होने लगे तब मुझे अहसास हुआ कि वास्तविक कर्ता कौन है।
- छोटे मोटे कार्य तो ऐसे हो गये कि मुझे कोई भार ही महसुस नहीं हो रहा था।
खैर आप जानते ही हैं कि मैं कितना डरपोक हुं इसलिये यह वैधानिक चेतावनी नोट कर लेवें कि इस कहानी के सभी तथ्य काल्पनिक है तथा वास्तविक घटनाओं से इनका कोई संबधं नहीं है यदि फिर भी किसी को वास्तविक लेगे तो संयोग मात्र है जिसके लिये मैं क्षमा चाहता हुं।
अपडेटः-( 2012) इस आलेख को लिखने के 1 वर्ष बाद जुन 2012 में जब नोहर की तहसील राजस्व लेखा शाखा का कार्य लगभग सुचारू हो गया ( जो कि मैनें नहीं किया मैं तो एक दर्शक मात्र था इसमें उस उपरवाले के हजार हाथ काम कर रहे थे जैसा कि गाना है सांईनाथ तेरे हजारों हाथ....) उस समय जुन 2012 में मेरा स्थानांतरण वापस मेरे मूल पदस्थापन स्थान पिण्डवाड़ा हो गया इस 2 वर्ष की नोहर यात्रा 2010 से 2012 में मैनें जो कुछ सीखा वो आपसे यहां साझा किया आप भगवान को माने या ना मानें मेरे को तो हर वक्त भगवान की शक्ति महसुस होती है।
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