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Saturday, July 2, 2011
केमिकल लोचा-सांई बाबा मुझसे बोले ???? पार्ट प्रथम
हाल ही में मैं मुसीबतों से बुरी तरह घिर गया मेरा ट्रांसफर 850 किमी दूर हो गया में बिलकूल भी परेशान नहीं हुआ क्यों कि मैं मेरे पुराने पदस्थापन स्थान से बोर हो गया था तथा कोई नया चैलेंज लेना चाहता था परन्तु नये स्थान पर जाने से पता चला कि वह पद तीन साल से रिक्त था तथा इससे पूर्व भी वहां कोई स्थायी पदस्थापन नहीं रहा था तथा यह भी बताया गया कि मेरी कुर्सी यहां बहुत ही अशुभ रही है एक टी.आर.ए के तो ज्वाईन करते ही दफतर की पुरानी कुसिर्यों की कील चुभ गयी जो कैंसर में तब्दील हो गयी जिससे वो छुटटी पर उतर गये तथा कुछ माह संर्घष करके परलोक सिघार गये।
एक टी.आर.ए साहब की आते ही दुर्घटना में टांग टूट गयी जिससे वो दो माह अवकाश पर रहे तीसरे का एक्सीडेंट हुआ जिससे वो चार माह अवकाश पर रहे तथा ट्रांसफर आदेश लेकर ही वापस लौटे।
दफतर के कुछ बदमिजाज चपरासी मुझसे उलझ पड़े बोले यहां जो आया है उसे जाना ही पड़ा है तो तुं किस खेत ही मूली है।(यह झूठ नहीं है वास्तव में ही तूं शब्द का प्रयोग किया गया था क्योंकि मेरी उम्र 37 वर्ष है पर में बच्चा सा लगता हूं तथा मेरे अलावा वहां सारे तीस मार खां ही थे तो उनका तूं कहना स्वभाविक था) दफतर के बाकी कर्मचारियों का हौसला भी बहुत बुलन्द था क्यों कि वो जानते थे की मेरी सीट पर कोई टी.आर.ए सुखी नहीं रहा है एक वास्तुविशेषज्ञ आए बोले कि आप अपनी सीट को यहां से बदल देवें तथा उन्होने मेरे पूरे दफतर में सभी अशुभ सीटों को बदल कर शुभ स्थानों पर करने की सलाह दे डाली में उनकी सलाह मानने को तैयार नहीं था क्यों कि मेरा विश्वास था जब मुझे यहां मेरे भगवान लेकर आये हैं तो मेरे लिये अच्छा ही होगा.....
परन्तु कुछ ही दिन बाद मेरे दस्त लग गये तथा मेरी सारी होशियारी फेल कर गये क्यों कि मैं जो भी देसी व अग्रेंजी दवा जानता था वो फेल हो गयी तथा मुझे अस्पताल में भर्ति होना पड़ा व छुटटी लेनी पड़ी।
कुछ दिनों में स्वस्थ होकर वापस गया तो सारे समझदार वापस आये ओर मुझे मेरी बेवकूफी के लिये उलाहना देने लगे कि जब हमने पहले ही कहा था कि यहां आप नहीं रह सकते आज तक कोई नहीं रहा रहा तो काम नहीं कर सका ।पर मैने उनकी सलाहों को अनसूना कर दिया तथा यहां फाईलों के ढेर जिन पर पर धुल जमी हुयी थी में मिटटी झाड़ कर काम करने लगा तो मेरे कूल्हे पर बड़े बड़े फोड़े होने लगे तथा अब मुझे विश्वास हो गया कि यहां का श्राप बड़ा भंयकर है क्यों कि मेरी भक्ति भी फेल हो रही है अबके भी इन फोड़ों पर कोई दवा असर नहीं कर रही थी तथा भंयकर दर्द से में बैठ भी नहीं सकता था इसलिये फिर छुटटी लेनी पड़ी तो मैं घबरा गया तथा लगातार करणी माता व सांई बाबा को पुकारने लगा खूब चीख पुकार करके निराश होने पर एक दिन केमिकल लोचा मेरे दिमाग में हो गया सांई बाबा मुझसे बोले.......................क्या बोले पढिये अगले अंक में।
अगला भाग पढने के लिये निम्न लिंक पर जावें:-
केमिकल लोचा-सांई बाबा मुझसे बोले ???? पार्ट द्वितीय
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Very interesting. waiting impatiently for second part
ReplyDeleteAll part is pbulish now
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