मैं कवि नहीं हुं तथा कविताएं नहीं लिखता परन्तु आज पुराने कागजों की सफाई करते समय एक कागज पर मैरे द्वारा 20 वर्ष पूर्व अपनी एक सहपाठी को देखकर लिखि गयी कविता याद मिल गयी।
मुझे अपनी उस सहपाठी से एकतरफा आकषर्ण था तब मैं 11 वीं कक्षा का विधार्थि था तथा गर्मियों की छुटिट्यां हो जाने से वो एकतरफा आकषर्ण ज्यादा जोर मारने लगा तब शायद ये कविता मैने लिखि होगी क्यों कि इस पर 05.05.1991 की दिनांक अकिंत है।
यहां मैं फिर उल्लेख कर दुं कि प्यार व्यार कुछ नहीं था शायद विपरित लिंग के प्रति मेरा एकतरफा आकर्षण था क्यों कि मैं अपनी भावनांए कभी भी व्यक्त नहीं कर पाता था तथा डर भी लगता था। आज वो कागज 20 वर्ष बाद वापस सामने आया तो सोचा मेरे ब्लोग पर डाल दुं क्या पता दुनिया के किसी कोने से वो सहपाठी इसे पढ ले तथा उस वक्त की मेरी भावना ( या बदनियति ) से आज अवगत हो जावे।
ये रही वो चंद लाईनेः-
पवित्र पावन सूरत जब देखी तुम्हारी
फिकी पड़ गयी क्षण भर में दुनिया सारी
कहते है मित्र छलावा है यह
जवानी के जाल का भुलावा है यह
पर तुम्हारी काली आखें कजरारी
होंठ जैसे गुलाब की क्यारी
इनको कैसे भुल सकता है कोई
तुम्हारे बिना कैसे जी सकता है कोई
रजनी अमर रहेगी यादें तुम्हारी
फिकी पड़ गयी क्षण भर में दुनिया सारी
आज मैं शादिशुदा हुं तथा 3 बच्चों का पिता हुं परन्तु अभी भी उतना ही डरता हुं इसलिये यह वैधानिक चेतावनी लिख देता हुं कि इस आलेख के सभी तथ्य काल्पनिक है तथा इनका वास्तविक घटनाओं से कोई संबंध नहीं है इसलिये वास्तविक घटनाओं से किसी भी मिलान को संयोग मात्र समझा जावे।
इस ब्लोग पर तंत्र, मंत्र, ज्योतिष, वास्तु व अध्यातम के क्षेत्र की जानकारी निस्वार्थ भाव से मानव मात्र के कल्याण के उद्देश्य से दी जाती है !
पाठकों से निवेदन
इस ब्लोग पर तंत्र, मंत्र, ज्योतिष, वास्तु व अध्यातम के क्षेत्र की जानकारी निस्वार्थ भाव से मानव मात्र के कल्याण के उद्देश्य से दी जाती है तथा मैं कोई भी फीस या चन्दा स्वीकार नहीं करता हुं तथा न हीं दक्षिणा लेकर अनुष्ठान आदि करता हुं ब्लोग पर बताये सभी उपाय आप स्वंय करेगें तो ही लाभ होगा या आपका कोई निकट संबधी निस्वार्थ भाव से आपके लिये करे तो लाभ होगा।
साईं बाबा तथा रामकृष्ण परमहंस मेरे आदर्श है तथा ब्लोग लेखक सबका मालिक एक है के सिद्धान्त में दृढ़ विश्वास रखकर सभी धर्मों व सभी देवी देवताओं को मानता है।इसलिये इस ब्लोग पर सभी धर्मो में बताये गये उपाय दिये जाते हैं आप भी किसी भी देवी देवता को मानते हो उपाय जिस देवी देवता का बताया जावे उसको इसी भाव से करें कि जैसे पखां,बल्ब,फ्रिज अलग अलग कार्य करते हैं परन्तु सभी चलते बिजली की शक्ति से हैं इसी प्रकार इश्वर की शक्ति से संचालित किसी भी देवी देवता की भक्ति करना उसी शाश्वत निराकार उर्जा की भक्ति ही है।आपकी राय,सुझाव व प्रश्न सीधे mahesh2073@yahoo.comपर मेल कीये जा सकते है।
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Dear sir
ReplyDeleteKya bat Hai Ap to chupa rustam shayr bhi Nikle Ab to Muje Bhi Shayri Ya kavita batani padehi