आम तौर पर दही व लस्सी को शीतल प्रकृति का माना जाता है। परन्तु हकीकत कुछ और ही है यदि आप भी गर्मियों में अंधाधुध दही व लस्सी पी रहे हैं तो इस लेख को अवश्य पढ़िये।
आयुर्वेद के सबसे महान ग्रन्थ चरक सूत्र 27/225-226 में लिखा है कि दही भारी अभिष्यामंदी ( शरीर के स्त्रातों में रूकावट पैदा करने वाला) व गर्म प्रकृति का होता है। दही का पाचन होने पर लैक्टिक अम्ल बनता है जो आपकी एसिडीटी को बढ़ा देता है।
दही कब्ज करता है। यह बात आयुर्वेद के हर ग्रन्थ में लिखी है।
दही वायुकारक है व पितवर्धक है दही से बनी छाछ गले में कफ उत्पन्न करती है तथा दमा पीनस खांसी व गले के रोगों में अत्यंत हानिकारक होती है।
पंतजलि योगपीठ की वैध बालकृष्ण जी की पुस्तक आयुर्वेद्व सिद्वान्त रहस्य पेज 162 पर लिखा है कि दही ग्रीष्म बसन्त और शरद ऋतुओं में नहीं खाना चाहिये तो फिर कब खाना चाहिये? ये मैं बता देता हुं यदि जुकाम खांसी दमे से जल्दी उपर जाना हो तो वर्षा ऋतु में खाना चाहिये।
आपका प्यारा दही सूजन रक्त के रोग ज्वर रक्तपित व पीलीया रोग को उत्पन्न करता है ऐसा भी कुछ ग्रन्थों में लिखा है।
दही को रात्रि में खाना और भी ज्यादा खतरनाक व हानिकारक माना गया है।
अतः गर्मियों में आपको प्यास ज्यादा लगती है कब्ज रहती है जी भारी रहता है भुख कम लगती है व वायु के विकार रहते हैं पेट में जलन होती है तो केवल 3 दिन तक आपका दही व छाछ खाना बंद करके परिणाम देखिये व इस ब्लोग पर भी अपने कमेंटस से अवगत करवाईये कि दही छाछ ठंडे होते हैं या गर्म? इनको खाने से पेट ज्यादा ठीक रहता है या त्यागने पर ?
आयुर्वेद के सबसे महान ग्रन्थ चरक सूत्र 27/225-226 में लिखा है कि दही भारी अभिष्यामंदी ( शरीर के स्त्रातों में रूकावट पैदा करने वाला) व गर्म प्रकृति का होता है। दही का पाचन होने पर लैक्टिक अम्ल बनता है जो आपकी एसिडीटी को बढ़ा देता है।
दही कब्ज करता है। यह बात आयुर्वेद के हर ग्रन्थ में लिखी है।
दही वायुकारक है व पितवर्धक है दही से बनी छाछ गले में कफ उत्पन्न करती है तथा दमा पीनस खांसी व गले के रोगों में अत्यंत हानिकारक होती है।
पंतजलि योगपीठ की वैध बालकृष्ण जी की पुस्तक आयुर्वेद्व सिद्वान्त रहस्य पेज 162 पर लिखा है कि दही ग्रीष्म बसन्त और शरद ऋतुओं में नहीं खाना चाहिये तो फिर कब खाना चाहिये? ये मैं बता देता हुं यदि जुकाम खांसी दमे से जल्दी उपर जाना हो तो वर्षा ऋतु में खाना चाहिये।
आपका प्यारा दही सूजन रक्त के रोग ज्वर रक्तपित व पीलीया रोग को उत्पन्न करता है ऐसा भी कुछ ग्रन्थों में लिखा है।
दही को रात्रि में खाना और भी ज्यादा खतरनाक व हानिकारक माना गया है।
अतः गर्मियों में आपको प्यास ज्यादा लगती है कब्ज रहती है जी भारी रहता है भुख कम लगती है व वायु के विकार रहते हैं पेट में जलन होती है तो केवल 3 दिन तक आपका दही व छाछ खाना बंद करके परिणाम देखिये व इस ब्लोग पर भी अपने कमेंटस से अवगत करवाईये कि दही छाछ ठंडे होते हैं या गर्म? इनको खाने से पेट ज्यादा ठीक रहता है या त्यागने पर ?